Thursday, April 29, 2010

आपके साथ संवाद प्रेरणादायक है........

मेरे पहले पोस्ट के एक सप्ताह में सैकड़ों रेस्पोंस मिले हैं सच कहूँ तो इनमे से कई मेरे लिए बेहद उपयोगी और प्रेरक हैं चाहे अररिया जिला के मो राशिद रजा हों या हैदराबाद के विश्वजीत या फिर अमेरिका से सीमा ..... इन सबने उन प्रमुख बिन्दुओं का बखूबी जिक्र किया है जिनकी बदौलत बिहार में बदलाव का माहौल सुगठित होता जा रहा है।यह मेरे लिए बहुत उत्साहजनक है कि आपलोगों ने मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना कि अपरिहार्यता को गंभीरता से लिया है। मैंने अपने पहले पोस्ट में इस योजना क़ी साथर्कता और प्रासंगिकता का जिक्र किया था।
आपके संवाद से साफ़ है कि इस योजना में राज्य में सुदूर से शहरी इलाकों में रहने वाली बच्चियों और उनके परिवारों की महत्त्वकाँक्षा को सुदृढ़ किया है। इन बाबत आपके संवाद मेरे लिए अत्यंत प्रेरणादायक हैं। आपकी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद बहुमूल्य रेस्पोंस भेजने के लिए मैं आपका आभारी हूँ । हर एक का जबाब दे पाना शायद मुमकिन न हो । सप्ताह भर में सैकड़ों रेस्पोंस के जरिये व्यक्त किये गए आपके विचार न केवल सराहनीय हैं बल्कि मेरे लिए बेहद अहम् हैं । इन्हें पढने के बाद मैं तठस्थ और अडिग महसूस कर रहा हूँ । इनमें बिहार को नई ऊँचाई तक ले जाने वाली लाखो प्रेरणाएं साफ़ निहित दिख रही हैं जो भविष्य में यह सुनिश्चित करेगी की राज्य में अवसरों की उपलब्धता लोगों की क्षमताओं और उम्मीदों को परिपुर्णित करे।सरकार के प्रयासों के जरिये बिहार में बदलाव दिख रहा है .... व् इस परिवर्तन के प्रति सकारात्मकता व्याप्त है।
बिहार और बिहारियों के प्रति इन सकारात्मक्ताओ की कहानीयाँ आपने गाँव , शहर एवम यहाँ तक की अमेरिका के प्रान्तों से भी सुनाई हैं । सरकार और प्रशासन के प्रयास अकादमिक , मिडिया एवम प्रबुद्ध लोगों के योगदान के अलावा जिस एक ख़ास चीज़ का महत्त्व इस माहौल को व्याप्त बनाने के प्रति रहा है , वो मेरी समझ से हम आम नागरिकों के बीच दिन-प्रतिदिन होने वाले बहुतेरे संवाद हैं । मैं इनकी महता को शायद कुछ-कुछ समझता हूँ...... यही वजह हो कि आज ब्लॉग के जरिये मैं आपसे मुखातिब हूँ ।लोग बिहार में आये दिन बन रही नई सड़कों , अस्पतालों , इत्यादी के साथ साथ प्रशासनिक व्यवस्था में झलक रही नई सोच व् कर्मठता , एवम आवाम में झलकते विश्वास व् सौहार्द्य को बदलते बिहार का प्रारूप मानते हैं।
हालाकि, साथ ही बिजली कि कमी और निजी क्षेत्र कि हिस्सेदारी को बढ़ावा देने जैसी कई चुनौतियों का जिक्र करना भी लाज़मी है। आपको ज्ञात होगा कि हमने कई विधुत परियोजनाओं के लिए पहल की है, व् इनकी स्थापना की प्रक्रिया विभिन्न चरणों पर है। विधुत उत्पादन इकाईयों से सम्बंधित प्रस्ताव तैयार करना और फिर इसके आधार पर परियोजना की स्थापना करने में काफी वक्त लगता है। जाहिर है की यह एक जटिल काम है। खासकर केंद्र से पहल कर coal linkage जैसी चीजों को सुनिश्चित कराना कई बार चुनौतीपूर्ण होता है।
आपको ज्ञात होगा की वर्ष 2004-2005 में हमें विरासत में विधुत की शून्य उत्पादकता मिली थी... लेकिन हमने इसे चुनौती के बतौर स्वीकार किया और इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं । हम सामाजिक एवम व्यवसायिक विकास में निजी और सार्वजनिक साझेदारी की संभावनाओं पर भी लगातार काम कर रहे हैं । हमने बिहार पुल निर्माण निगम जैसे सार्वजनिक उपक्रम को पुनर्जीवित कर आज एक अग्रणी की सूचि में ला खड़ा किया है। अन्तराष्ट्रीय लेवल की कई agencies के साथ हमारी साझेदारी फलीभूत होती दिखने लगी हैं।मैं हर्षित हूँ की उच्च शिक्षा को आपने भी एक बेहद महत्वपूर्ण विषय के रूप में देखा है। इस बावत , खासकर बिहार के होनहार विद्यार्थियों के सुझाव एवम विचार इंगित करते हैं कि वर्तमान परिपेक्ष में बिहार के लिए इस विषय पर काम करना बेहद प्रासंगिक है ।
बिहार सरकार ने इन चंद वर्षों में उच्च शिक्षा के विकल्पों को बढ़ाने के लिए BIT Meshra की बिहार शाखा , चाणक्य law university , चन्द्रगुप्त मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट और आर्यभट knowledge university जैसी इकाईयों की स्थापना कराई है । राज्य सरकार IIT patna और नालंदा अन्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर सारे जरुरी प्रावधानों को सुनिश्चित कर चुकी है। आने वाले समय में आप ऐसी कई योजनाओं को फलीभूत होते देखेंगे ।अंत में , ब्लॉग पर लिखने के मेरे इस नए प्रयास का आपने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया है उससे मैं पूर्णतया आश्वस्त हूँ कि मेरी भविष्य कि सोच, नीतियों और कार्यप्रारुपों को निश्चित दिशा देने में सक्षमता आएगी। एक ब्लॉगर के रूप में मेरा स्वागत करने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद ।
मैं इन्टरनेट की पीढ़ी के वन्धुत्व को सादर स्वीकार करता हूँ।आने वाले समय में मैं अपने अनेक विचार आपसे साझा करता रहूंगा । आपके रेस्पोंस जानने के बाद मैं समझता हूँ कि आप भी बिहार में क़ानून व्यवस्था और जिम्मेदार प्रशासन को हमारी सरकार की ख़ास उपलब्धियों की सूचीं में देखते हैं। मेरे पहले ही पोस्ट पर आपके इतने सारे विचार मुझे इन्हें प्राथमिकता में रखने को प्रेरित कर रहे हैं । मेरी कोशिश है की अगले पोस्ट में मैं इन पर चर्चा करूँ ।
आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा ।
हार्दिक साधुवाद सहित ,
नीतीश

Thursday, April 22, 2010

मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना

पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार द्वारा किए गए कई कल्याणकारी प्रयासों मे, 'मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना' मेरे दिल के बहुत करीब है। इस योजना ने बिहार की तस्वीर बदल दी है और लाखो स्कूल जाने वाली लड़कियां साइकिल चलकर कुछ हासिल करने के मकसद से स्कूल जा रही हैं । इस योजना के शुरू करने से पहले तीन साल पहले तक स्कूल जाने वाली बालिकाओं को साइकिल चलते हुए देखना पुरे बिहार ही नहीं बल्कि पटना की सरको पर भी दुर्लभ था। लेकिन अब, आप आत्मविश्वास से भरी हुई लड़कियों को साइकिल चलाते हुए राज्य मे हर जगह देख सकते हैं - गाँव की संकिरी पगडंडियों से शहर के चहल पहल वाली सडकों तक।


इस योजना के अंतर्गत आठवीं कक्षा पास करने के बाद हर स्कूल जाने वाली बच्ची को दो हज़ार (२०००) रुपये का चेक साइकिल खरीदने के लिए दिया जाता है ताकी वोह आसानी से स्कूल हर दिन जा सकें। यह कहना ग़लत नहीं होगा की इस योजना ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। इस योजना मे मुझे काफी संतुसटी दिलाई है, क्यूंकि इस ने लड़कियों मे पढाई छोड़ने की दर को पुरे राज्य मे काफी घटाया है।



पिछले तीन वित्तीय वर्षों के आंकड़ों पर एक नजर डालें करने के लिए इस योजना की सफलता का
अंदाज़ा लगाया जा सकता है। वर्ष 20०७-०८ मे हमारी सर्कार ने ३२.६० करोड़ रुपये १.६३ लाक स्कूल जाने वाली लड़कियों के साइकिल खरीदने मे खर्च किये, वर्ष २००८-०९ मे हम ने ५४.४३ करोड़ रुपये २.७२ लाख साइकिल खरीदने के लिए खर्च किये और वर्ष २००९-१० मे ४.३६ लाख बालिकाओं ने ८७.३३ करोड़ के बुद्गेत से साइकिल खरीदी। पिछले तीन वर्षों मे हमारी सरकर ने १७४.३६ करोड़ रुपये खर्च किये हैं, जिससे ८.७१ लाख स्कूल जाने वाली लड़कियों को साइकिल मिले हैं जो की वह लोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। ये महज आंकड़े नहीं हैं। बल्कि एक तथ्य एक अभिपुष्टि है, वास्तव मे एक छोटी सी पहल वास्तव में एक बड़ा परिवर्तन लेन मे सक्षम है।


बिहार में साइकिल अब सामाजिक परिवर्तन का एक सत्य साधन बन गया है जो राज्य के किसी भी हिस्से में महसूस किया जा सकता है। मैंने हमेशा माना है कि किसी भी समाज मे तबतक परगति नहीं हो सकती जबतक महिलाएं परगति नहीं करती - और किसी समाज मे महिलाएं तबतक परगति नहीं कर सकती हैं जबतक वोह शिक्षित न हों।

यह योजना सही दिशा में एक छोटा सा कदम है। इस परियोजना की वजह से आज राज्य भर मे परिवर्तन की हवाएं बह रही हैं। और इसके दीर्घकालिक प्रभाव आने वाले कुछ साल में महसूस किया जाएगा. लकिन मुझे यह कहने मे संकोच नहीं है की इस योजना ने बिहार को एक जीवंत राज्य की तरह आगे बढ़ने मदद की है जो की अपनी महिलाओं को सशक्त बनाने में विश्वास रखता है। लड़कियों को शिक्षित करना उनमें से एक है.